शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

पूजा के प्रकार

 पूजन के मुख्य छ: प्रकार है--


पंचोपचार (5 प्रकार)

दशोपचार (10 प्रकार)

षोडशोपचार (16 प्रकार)

द्वात्रिंशोपचार (32 प्रकार)

चतुषष्टिपचार (64 प्रकार)

एकोद्वात्रिंशोपचार (132 प्रकार)

मानस पूजा को शास्त्रों में सबसे शक्तिशाली पूजा माना गया है। 


स्नान - सर्वप्रथम स्वयं स्वच्छ जल से स्नान करें तथा एक काँस के पात्र में जल लावें ध्यान रहे बिना स्नान किये व्यक्तियों से स्पर्श न हो तथा पानी लाते समय चप्पल आदि न पहनें। और उसे भगवान के समक्ष रख दें।


पूजा की थाल - आचमनी पंचपात्र आदि एक थाली थाली काँस अथवा ताँबे की हो। में रखें तथा साँथ में पुष्प, अक्षत, बिल्वपत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन आदि पूजा में उपयोगी वस्तुएँ रखें। इसे पूजा की थाली कहते हैं।


पवित्रीकरण - आसन में बैठ कर पवित्रीकरण करें, अपने तथा पूजन के थाल पर जल सिंचन करें तथा पवित्रीकरण श्लोक बोलें।


ध्यान - भगवान का ध्यान करें। गीताप्रेस गोरखपुर का नित्यकर्म पूजाप्रकाश नामक पुस्तक अति उपयोगी है।


दैनिक पूजा उपक्रम - क्रम निम्नांकित हैं--


ध्यान


आवहन


आसन


पाद्य


अर्घ्य


आचमनी


स्नान जल, दुग्ध, घृत, शर्करा, मधु, दधि, उष्ण जल।


पंचामृत स्नान दुग्ध, दधि, घृत (घी), मधु, शर्करा को एक साँथ मिलाकर उससे स्नान करावें।


शुद्धोदकस्नान शुद्ध जल से स्नान।


वस्त्र


चंदन


यज्ञोपवीत (जनेऊ)


पुष्प


दुर्वा गणेश जी में दूबी अर्पित करें।


तुलसी विष्णु में तुलसी।


शमी शमीपत्र।


अक्षत शिव में श्वेत अक्षत, देवी में रक्त (लाल) अक्षत, अन्य में पीत (पीला) अक्षत।


सुगंधिद्रव्य इत्र।


धूप


दीप


नैवेद्य प्रसाद।


ताम्बूल पान।


पुष्पांजलि मंत्रपुष्पांजलि।


प्रार्थना

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