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शनिवार, 24 सितंबर 2022
नवरात्रि पूजा का महत्व
*शारदीय नवरात्रि पर्व 26 सितंबर से, सुख-समृद्धि के साथ हाथी पर सवार होकर आएंगी मां भगवती*
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✍🏻शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर सोमवार से 5 अक्टूबर विजया दशमी तक मनाया जाएगा।
श्री जनार्दन ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक ज्योतिषाचार्य प्रभात झा जी ने बताये कि इस बार मां भगवती हाथी पर सवार होकर सुख-समृद्धि लेकर आ रही हैं, ऐसी मान्यता है कि यदि माता हाथी और नाव पर सवार होकर आती है तो साधक के लिए लाभकारी व कल्याण करने वाला होता है, नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि पर्व 26 सितंबर से 5अक्टूबर तक मनाया जाएगा। आचार्य प्रभात झा जी के अनुसार इस बार मां दुर्गा जी ब्रह्म योग में सुख-समृद्धि लेकर हाथी पर सवार होकर आएंगी, इस बार माता मंदिरों में कोरोना पाबंदियों से मुक्त पर्व की तैयारी की जा रही है। इससे हवन-पूजा और अनुष्ठान बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा । माता मंदिरों में प्रतिदिन मां का नया श्रृंगार किया जाएगा।
*सुख और समृद्धि का प्रतीक है हाथी*
आचार्य प्रभात झा के अनुसार 26 सितंबर को प्रतिपदा तिथि रहेगी, सोमवार को माता रानी का आगमन हो रहा है। यदि सोमवार को मां का आगमन होता है तो वो हाथी पर माना जाता है, हाथी को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि माता हाथी और नाव पर सवार होकर आती है तो साधक के लिए लाभकारी व कल्याण करने वाला होता है यदि शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि शुरू हो तो देवी जी का आगमन घोड़े में माना जाता है और गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि के आरंभ होने पर मां का आगमन डोली में होता है। जबकि बुधवार को आगमन नौका पर बताया गया है।
*माता मंदिरों में नवरात्रि की तैयारी शुरू*
भारत देश के माता मंदिरों में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस अवसर पर सभी शक्ति पीठो के साथ दिव्य शक्तिपीठ में यज्ञ-हवन और अनुष्ठान होंगे। इस दौरान मां का नया श्रृंगार और पूजन किया जाएगा।
*शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व और पूजा*
*कलश स्थापना का मुहूर्त*
शारदीय नवरात्रि के घटस्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:11 बजे से सुबह 07:51 बजे तक है. वहीं कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक है.
*ज्योतिषाचार्य प्रभात झा* के अनुशार शारदीय नवरात्रि 2022 के नौ दिनों के महत्व इसके साथ ही नवदुर्गा के 9 रूपों की कृपा कैसे पाए। उनकी पूजा पाठ कैसे करें। इसके बारे में विस्तृत जानकारी ।
पहला दिन – मां शैलपुत्री : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का पहला अवतार हैं, और वह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुंडली में चन्द्र अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। यदि पूरे समर्पण के साथ इनकी पूजा की जाती है, तो मंगल के सभी प्रतिकूल प्रभावों को दूर कर सकते हैं। कुंडली में मंगल अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा : नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह शुक्र ग्रह पर शासन करती है और साहस प्रदान करती है। कुंडली में शुक्र अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
चौथा दिन – मां कुष्मांडा: नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे अवतार, मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। जो सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके भविष्य की रक्षा करती है। कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
पांचवां दिन – मां स्कंदमाता: नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा का पांचवे रूप, मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। जो की बुध ग्रह पर शासन करती है। अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करती है। कुंडली में बुध अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
छठा दिन – मां कात्यायनी : नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे रूप, मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह बृहस्पति ग्रह पर शासन करती है। इनके भक्त उनके साहस और दृढ़ संकल्प से लाभान्वित होते हैं। कुंडली में गुरु अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
सातवां दिन – मां कालरात्रि : नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा का सातवें रूप, मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह शनि ग्रह पर शासन करती है। इसके साथ ही यह साहस का प्रतिनिधित्व करती है। कुंडली में शनि अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
आठवां दिन – मां महागौरी : नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। यह राहु ग्रह पर शासन करती है। यह हानिकारक प्रभावों और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है। कुंडली में राहु अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री : नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के आठवें रूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह केतु ग्रह पर शासन करती हैं। ये ज्ञान प्रदान करती हैं। कुंडली में केतु अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
♧ नवरात्रि का आठवां दिन (अष्टमी)
दिनांक: 03 अक्टूबर 2022, सोमवार।
त्योहार के अन्य नाम:महाष्टमी व्रत, दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, अन्नपूर्णा अष्टमी, संधि पूजा।
पसंदीदा फूल: रात में खिलने वाली चमेली, मोगरा का फूल इनको बहुत पसंद है ।
दिन का रंग: बैंगनी।
मंत्र: ‘ॐ देवी महागौरी नमः।
♧ नवरात्रि का नौवां दिन (महानवमी)
दिनांक : 04 अक्टूबर 2022, मंगलवार।
त्योहार के अन्य नाम :महानवमी व्रत, त्रिशूलनीपूजा, सिद्धिदात्री पूजा।
पसंदीदा फूल: चंपा का फूल इनको बहुत पसंद है।
दिन का रंग: मयूरी हरा।
मंत्र: ‘ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः’
♧ नवरात्रि का अंतिम दिन (विजय दशमी)
दिनांक: 05 अक्टूबर 2022, बुधवार।
त्योहार के अन्य नाम: अपराजिता पूजा, दशहरा, दुर्गा विसर्जन,जयन्ती धारणा, नवरात्रव्रतपारणम् ।
*कुंडली विश्लेषण, कुंडली मिलान, पुत्र प्राप्ति, विवाह में देरी, वैदिक पूजा पाठ, हवन, वैदिक मन्त्र जप एवम सभी प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम हेतु सम्पर्क करें ।*
*दुर्गा पूजन, दीपावली पूजन, हेतु सम्पर्क करें*
*जन्म कुंडली विश्लेषण हेतु जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान अनिवार्य*
*ज्योतिषाचार्य पं. प्रभात झा, सीतामढ़ी, बिहार*
*सम्पर्क नं•:- +91-9155657892*
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